बेईमान या चालाक? बुमराह को लेकर मचा हंगामा!




जसप्रित बुमराह बेईमान हैं या चालाक आज कल इस चर्चा ने ज़ोर पकड़ा हुआ है। इंडिया ने पर्थ टेस्ट जीता ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया को धोया और मैच के कर्णधार बने टीम इंडिया के कप्तान जसप्रित बुमराह। पहले दिन 150 रन बनाने के बावजूद जिस तरह उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ों में दहशत जमाई, वो आगे के तीन दिन क़ायम रही। ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में जब ट्रैविस हेड एक समय इंडिया के गेंदबाज़ों को धोने लगे थे, बुमराह ने गेंद सँभाली और उन्हें चलता किया। अब अपनी ही ज़मीन पर ऑस्ट्रेलिया पिटे और वो भी 295 रनों से तो हल्ला तो मचना ही था। जहां करोड़ों क्रिकेट प्रेमी इंडिया में इसे हमारी सबसे बड़ी जीत मान रहे हैं वहीं ऑस्ट्रेलिया की खिस्यानी बिल्लियाँ बुमराह को बेईमान बता रही हैं। कह रही है कि बुमराह चक करते हैं। यानी बुमराह का बोलिंग एक्शन ग़लत है। नियमों के विरोध है और उनपर बैन लगाना चाहिए। बुमराह जब गेंद फेंकते वक़्त आख़िरी समय पर अपने बोलिंग हाथ को तोड़ते हैं वो इन आलोचकों को गलत लगता है। यानी जो गेंदबाज़ पिछले कई सालों से हर फॉर्मेट में खेल रहा है, जिसके टेस्ट मैच में 200 विकेट होने वाले हैं उसका एक्शन ग़ैर क़ानूनी है। उधर इन मूर्खों के विपरीत जो क्रिकेट के जानकार हैं वो कह रहे हैं कि बुमराह की क़ाबलियत को पहचानो फिर बात करो। ये तो सभी मानते हैं कि बुमराह हर तरह की गेंद फेंक सकते हैं। आप उनसे तेज़, धीमी, यॉर्कर, बाउंसर, इन-कटर और आउट-कटर जैसी मर्ज़ी गेंद फेंकने को कहो वो फेंक लेते हैं। फिर जब बल्लेबाज़ इन सभी गेंदों से निपटने की तैयारी कर रहा होता है तो वो एक ऐसी गेंद फेंकते हैं जो बिलकुल सीधी निकल जाती है। ऐसे में बल्लेबाज़ जितनी भी निगाह गड़ा के देख ले कि बुमराह इस एक्शन से किस तरह की गेंद फेंकेंगे, बुमराह उस तरह की गेंद फेंकते ही नहीं है। सीम पोजीशन से कभी कभी लगता है कि गेंद अंदर आ रही है। पर उनकी कलाइयों में इतनी लचक है कि वो वहीं से उसको मरोड़ के ऐसी गेंद फेंकते हैं जो पड़ के बाहर निकल जाती है। फिर अपनी लाइन और लेंथ पर अच्छम्भित करने वाला कंट्रोल। अगर आप बल्लेबाज़ हैं तो सोचिए: जब आपको अंदाज़ा ही नहीं हो पाता है कि गेंद पड़ के क्या करेगी तो आप पहले से कैसे तैयारी कर सकते हैं। आपकी सोच होती है कि गेंद पड़ने दो, फिर देखेंगे कि उससे कैसे निपटना हैं। बस यहीं पर लाइन और लेंथ भाँपने में गलती हो जाती है। जब आप इतना कुछ सोचेंगे तो खेलने में तो देरी करेंगे ही नहीं। यहीं देरी बुमराह जैसे तेज गेंदबाज़ के विरुद्ध घातक साबित हो जाती है। फिर बुमराह का कलेजा देखिए। बुमराह की जगह कोई भी ऐसा कप्तान होता जो तेज़ गेंदबाज़ भी होता वो टॉस जीत कर पर्थ टेस्ट में पहले बल्लेबाज़ी करना पसंद करता। आख़िर इतनी हरी भरी पिच में कौन तेज़ गेंदबाज़ गेंदबाज़ी करना नहीं चाहेगा। कौन नहीं चाहेगा कि उसकी झोली में कुछ आसान विकेट गिर जायें और वो हीरो हो जाये। पर अपने हीरो बनने के बजाए बुमराह ने टीम को हीरो बनने को ठानी। रिस्क लिया और रिस्क सही साबित हुआ। इतनी अच्छा और बड़ी सोच वाले व्यक्ति को ही इण्डियन टीम का कप्तान होना चाहिए। तो जब भी रोहित शर्मा टेस्ट मैच की कप्तानी छोड़ेंगे, या टेस्ट मैच से संन्यास लेंगे, तब बुमराह का कप्तान बनना तय है। टीम को एक बहादुर और निर्भीक कप्तान की ज़रूरत होती है और वो कप्तान बुमराह यकीनन हैं।